बिहार की शक्ति से ही संभव है देश की प्रगति: कन्हैया कुमार
राहुल गांधी सहित 62 राष्ट्रीय नेता 15 मई को सूबे में विभिन्न जगहों पर करेंगे शिक्षा न्याय संवाद: कन्हैया कुमार

चंपारण केशरी,दीपांकर कुमार द्वारा पोस्टेड /पटना। बिहार के एससी एसटी छात्रों के लिए आवंटित पैसों का इस्तेमाल पुल और सड़क निर्माण में लगाने और छात्रों की पढ़ाई के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड देकर लोन के मकड़जाल में बिहार सरकार फंसाकर नौकरी लगने से पहले ही लोन रिकवरी एजेंट भेजने लगती है जबकि शैक्षणिक सत्र इतने पीछे रह जाते हैं कि छात्र और उनके अभिभावक अतिरिक्त बोझ में दब जाते हैं, ये बातें बिहार प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार ने कही।
एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार ने कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था डबल इंजन सरकार की सबसे बड़ी विफलता बन चुकी है। नालंदा और विक्रमशिला जैसी विरासत वाला बिहार आज शैक्षणिक संकट में डूबा है। नीतीश कुमार 20 साल से राज्य के मुख्यमंत्री हैं और नरेंद्र मोदी 12 साल से देश के प्रधानमंत्री लेकिन राज्य के हालात बद से बदतर हैं।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी सहित 62 राष्ट्रीय नेता सूबे के विभिन्न जगहों पर राज्य के छात्रों से शिक्षा न्याय संवाद कार्यक्रम के तहत एससी, एसटी, ओबीसी छात्रावासों और कम्यूनिटी हॉल में वृहद रूप से उनकी समस्याओं पर सीधा संवाद करेंगे।
संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने आगे कहा कि 358 प्रखंडों में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं खुला, स्थायी शिक्षकों की भरी कमी है और तीन साल की डिग्री छह साल में पूरी हो रही है। छात्र क्रेडिट कार्ड योजना ने युवाओं को रोजगार नहीं बल्कि कर्जदार बना में झोंक दिया है। पढ़ाई खत्म नहीं हुई, वसूली शुरू हो गई। कैग की रिपोर्ट बताती है कि एससी एसटी छात्रवृति के पैसे सड़कों और पुलों के निर्माण पर खर्च कर दिए गए, और अल्पसंख्यक छात्रवृत्तियां तक बंद कर दी गईं। दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक छात्रों के हॉस्टल या तो बंद हैं या बदहाली की कगार पर है। मोदी नीतीश की डबल इंजन सरकार बिहार में शिक्षा, उद्योग और बुनियादी ढांचे में निवेश करने के बजाय सारा पैसा गुजरात भेज रही है। चाहे अच्छी यूनिवर्सिटी हों या इंडस्ट्री और इंफ्रास्ट्रक्चर की योजनाएं, सबका रुख गुजरात की ओर मोड़ दिया गया है। बुलेट ट्रेन हो या स्मार्ट सिटी, हर बड़ी योजना वहीं जा रही है। बिहार की जरूरतें हैंलेकिन मोदी नीतीश का डबल इंजन सिर्फ गुजरात की तरफ दौड़ रहा है।
संवाददाता सम्मेलन में एससी, एसटी, ईबीसी, महिला वर्ग की मुख्य रूप से पांच मांगों को छात्र नेता त्रिलोकी कुमार मांझी, रंजीत पंडित, भाग्य भारती, मनीष पासवान ने संबोधित करते हुए उठाया जो निम्नांकित हैं:
1. 50% आरक्षण की सीमा हटाओ!
* दलित, पिछड़ा और अति-पिछड़ा समुदायों को शिक्षा और नौकरियों में बराबरी की हिस्सेदारी दो।
* अनुच्छेद 15(5) तत्काल लागू करो, ताकि निजी संस्थानों में पिछड़ा, अति-पिछड़ा, दलित और आदिवासी आरक्षण सुनिश्चित हो।
2. एससी एसटी सब-प्लान लागू करो!
* एससी एसटी फंड के ₹8,800 करोड़ की हेराफेरी का जवाब दो।
* एससी एसटी योजनाओं के फंड का सही और पारदर्शी उपयोग करो।
3. शिक्षा का इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर करो!
* 81% स्कूलों में कंप्यूटर नहीं हैं, आधुनिक शिक्षा हर स्कूल तक पहुँचाओ।
* हर प्रखंड में डिग्री कॉलेज बनाओ।
* विश्वविद्यालयों में स्थायी शिक्षक, डिजिटल लाइब्रेरी और नियमित कक्षाएं सुनिश्चित करो।
* केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा को पूरी तरह लागू करो।
4. कर्ज़ा नहीं, नौकरी दो!
* बिहारी छात्रों पर ₹2,135 करोड़ का शिक्षा कर्ज़ माफ करो।
* नौकरी माँगने पर लाठी नहीं, नौकरी दो।
* सरकारी नौकरियों के खाली पड़े 4.63 लाख पदों पर तुरंत नियुक्ति करो।
5. 3 साल की डिग्री, 3 साल में ही दो!
* बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में सख्त शैक्षणिक कैलेंडर लागू करो।
* छात्रों की डिग्री तय समय में पूरी हो, ये सुनिश्चित करो।
* हर कॉलेज और विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट सेल बनाने की भी मांग उठाई गई।
संवाददाता सम्मेलन में एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार, त्रिलोकी कुमार मांझी, रंजीत पंडित, भाग्य भारती, मनीष पासवान, प्रवक्ता डॉ स्नेहाशीष वर्धन पाण्डेय और सौरभ सिंहा मौजूद रहें।