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सपनों की उड़ानः सार्थक जायसवाल की प्रेरणादायक यात्रा

बिहार के एक छोटे से शहर से निकलकर देश के सबसे प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थानों में से एक, आईआईएम लखनऊ तक का सफर

चम्पारण केसरी,दीपांकर कुमार रिपोर्ट |
घोड़ासहन:- बिहार के एक छोटे से शहर से निकलकर देश के सबसे प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थानों में से एक, आईआईएम लखनऊ तक का सफर तय करना आसान नहीं था। लेकिन घोड़ासहन शहर के संजीव कुमार जयसवाल व शिवज्योति जयसवाल के पुत्र सार्थक जायसवाल ने यह कर दिखाया और यह साबित कर दिया कि दृढ़ निश्चय, कड़ी मेहनत और परिवार का साथ हो तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं। वर्ष 2023 में सार्थक ने कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) में 98.58 परसेंटाइल हासिल कर देशभर के लाखों छात्रों में अपनी अलग पहचान बनाई और आईआईएम लखनऊ में चयनित हुए। मार्च 2025 में उन्होंने सफलतापूर्वक अपनी पढ़ाई पूरी की। इस दो वर्षों के सफर में उन्होंने न केवल शिक्षा में उत्कृष्टता हासिल की बल्कि कई व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त किए।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि में हमेशा अव्वल
सार्थक की शिक्षा की नींव दार्जिलिंग के विक्टोरिया बॉयज़ स्कूल से हुई, जो एक प्रसिद्ध एंग्लो-इंडियन बोर्डिंग स्कूल है। इसके बाद उन्होंने बैंगलोर स्थित आर.वी. कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। जो देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक है। बचपन से ही मेधावी रहे सार्थक की प्रतिभा ने हर मोड़ पर उन्हें नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।
अनुभवों से मिला निखार
आईआईएम लखनऊ में अपने पहले वर्ष के बाद उन्होंने महाराष्ट्र स्थित मेनन एंड मेनन प्राइवेट लिमिटेड में इंटर्नशिप की, जहां उन्हें उ‌द्योग जगत की गहराई से समझ मिली। इसके अलावा, एसआर एशिया में एक कंसल्टेंट के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास निगम (NRDC) के लिए एक अनूठे स्टार्टअप एवं इनोवेशन सेंटर की स्थापना हेतु प्रस्ताव तैयार किया। जिसे विज्ञान एवं प्रौ‌द्योगिकी मंत्रालय को सौंपा जाना था। उनका चयन यूरोप में एक एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए भी हुआ, जिसके तहत उन्होंने यूरोप के विभिन्न देशों में जाकर वैश्विक व्यापार, सांस्कृतिक विविधता और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्किंग का अनुभव प्राप्त किया।
गौरवशाली दीक्षांत समारोह
आईआईएम लखनऊ में आयोजित दीक्षांत समारोह 2025 में सार्थक को यह विशेष सौभाग्य प्राप्त हुआ कि उन्हें डिग्री एन.चंद्रशेखरन, चेयरमैन टाटा सन्स और टाटा ग्रुप और, डॉ. देवी शेट्टी, संस्थापक और चेयरमैन- नारायण हेल्थकेयर, जैसे भारत के दो अत्यंत प्रतिष्ठित और सफल उ‌द्योगजगत के दिग्गजों के हाथों मिली। इन दोनों महानुभावों की कुल संपत्ति अरबों डॉलर में आंकी जाती है, परंतु उनकी सादगी, दृष्टिकोण और सेवा भाव छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत रही।
परिवार रहा सबसे बड़ी ताकत
सार्थक मानते हैं कि यह संपूर्ण यात्रा उनके माता-पिता, अमेरिका में रहने वाली उनकी बड़ी बहन और जीजा तथा उनके छोटे भाई जो बिहार स्किल डेवलपमेंट मिशन के साथ जुड़े हैं के सहयोग और प्रेरणा के बिना संभव नहीं हो पाती। उनके लिए परिवार न केवल भावनात्मक सहारा रहा, बल्कि हर कदम पर मार्गदर्शन और आत्मबल भी प्रदान करता रहा।
एक नई शुरुआत की ओर
आईआईएम लखनऊ के दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त करते हुए सार्थक की आंखों में एक नई दुनिया के सपने थे न सिर्फ अपने लिए, बल्कि उन सैकड़ों युवाओं के लिए भी जो छोटे शहरों से बड़े सपने लेकर निकलते हैं। उनकी यात्रा उन सभी छात्रों के लिए एक उदाहरण है जो सीमित संसाधनों के बावजूद असीमित संभावनाओं का सपना देखते हैं। एक तस्वीर जिसमें सार्थक अपने दीक्षांत समारोह में डिग्री हाथ में लिए मुस्कुराते हुए खड़े हैं, इस कहानी को और भी जीवंत बना देती है यह केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि एक पूरे परिवार, एक पूरे कस्बे और उस विश्वास की जीत है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।

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