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बिहार के सीएम की बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष ममता राय को नहीं मिली प्रवेश की अनुमति,नाराज होकर वापस लौटीं

प्रशासनिक प्रक्रिया का हवाला देकर अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई।

चम्पारण केसरी संवाददाता-मोतिहारी : समाहरणालय स्थित राधाकृष्णन भवन में मंगलवार को आयोजित जिला स्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान एक अप्रत्याशित घटनाक्रम सामने आया, जब जिला परिषद अध्यक्ष ममता राय को बैठक में भाग लेने की अनुमति नहीं मिली। इस पर नाराज होकर ममता राय बैठक से बाहर चली गईं।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में यह बैठक चल रही थी, जिसमें विभिन्न सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों की समीक्षा हो रही थी। बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष की उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है, लेकिन ममता राय को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।सूत्रों के अनुसार, ममता राय बैठक में हिस्सा लेने के लिए राधाकृष्णन भवन पहुंची थीं, लेकिन उन्हें सुरक्षा कारणों या प्रशासनिक प्रक्रिया का हवाला देकर अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। यह देखकर ममता राय अत्यधिक आहत हुईं और उन्होंने अधिकारियों से स्पष्ट कारण पूछा। हालांकि, उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, जिसके बाद वह बिना बैठक में शामिल हुए ही वापस लौट गईं। मुख्यमंत्री जी द्वारा पिछले साल किए गए शिलान्यास धरातल पर फेल नजर आ रही है मुख्यमंत्री जी को इस पर भी ध्यान देना चाहिए इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए।ममता राय ने इस घटनाक्रम पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “जिला परिषद अध्यक्ष के तौर पर मेरा यह कर्तव्य है कि मैं जिला स्तरीय समीक्षा बैठक में भाग लूं और जिले से जुड़ी समस्याओं को उठाऊं। लेकिन मुझे बिना किसी स्पष्ट कारण के अंदर नहीं जाने दिया गया। यह मेरे सम्मान का उल्लंघन है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह का व्यवहार जनप्रतिनिधियों के साथ असम्मानजनक है और प्रशासनिक प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है।ममता राय के इस कदम से राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। कुछ नेताओं का मानना है कि यह घटना राजनीतिक असहमति का परिणाम हो सकती है, जबकि अन्य ने इसे प्रशासनिक लापरवाही और गलतफहमी के तौर पर देखा।स्थानीय प्रशासन ने इस मामले पर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है। बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य उच्च अधिकारी उपस्थित थे, लेकिन ममता राय के लौटने के बाद कोई बयान नहीं दिया गया।यह घटना बिहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि में एक नया मोड़ ले सकती है, क्योंकि ममता राय एक प्रमुख जनप्रतिनिधि हैं और उनका आरोप राज्य सरकार के प्रशासन पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब यह देखना होगा कि बिहार सरकार इस मुद्दे पर किस प्रकार की प्रतिक्रिया देती है और क्या भविष्य में ऐसी घटनाएं घटित नहीं होंगी।ममता राय के इस कदम ने राज्य की राजनीति में नए विवादों को जन्म दे दिया है, और इसके आगे के प्रभावों को लेकर राजनीति में नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

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